भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर रविवार को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, सैन्य पराक्रम और आत्मनिर्भरता का भव्य प्रदर्शन हुआ। इस समारोह में देश की एकता, समानता और विकास की झलक पेश की गई। इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
समारोह की शुरुआत और विशेष अतिथि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह की शुरुआत में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति पारंपरिक बग्गी में सवार होकर कर्तव्य पथ पहुंचे। इस परंपरा को 40 वर्षों के अंतराल के बाद पुनर्जीवित किया गया है।
राष्ट्र ध्वज और परेड का शुभारंभ
राष्ट्रपति के आगमन के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई। परेड का नेतृत्व दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार ने किया। परेड में भारत के सैन्य पराक्रम का प्रदर्शन किया गया, जिसमें टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्टम और तेजस जैसे स्वदेशी हथियारों की झलक देखने को मिली।
झांकियां और सांस्कृतिक प्रदर्शन
देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाली 26 झांकियों ने परेड में भाग लिया। इनमें 16 झांकियां विभिन्न राज्यों की और 10 केंद्र सरकार के मंत्रालयों की थीं। ‘स्वर्णिम भारतः विरासत और विकास’ थीम पर आधारित झांकियों ने भारत के समृद्ध इतिहास और उज्ज्वल भविष्य का चित्रण किया।
महिला शक्ति और वीरता सम्मान
गणतंत्र दिवस परेड में महिला अधिकारियों ने सेना, नौसेना और वायुसेना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाया। इस अवसर पर परमवीर चक्र और अशोक चक्र जैसे वीरता पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। खेल जगत के दिग्गजों और पद्मश्री पुरस्कार विजेताओं की उपस्थिति ने समारोह को और भी खास बना दिया।
आत्मनिर्भर भारत की झलक
डीआरडीओ की झांकी में स्वदेशी रक्षा उपकरण और अत्याधुनिक तकनीकें प्रदर्शित की गईं। स्वदेशी युद्धपोत, मिसाइल सिस्टम, और ड्रोन तकनीक ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देश की प्रगति को उजागर किया।
नारी शक्ति और सामाजिक समावेश
परेड में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 148 सदस्यीय महिला टुकड़ी ने अद्भुत प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की टुकड़ियों ने युवा शक्ति का प्रतिनिधित्व किया।
सैन्य और सांस्कृतिक धरोहर का संगम
कर्तव्य पथ पर भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त अभियान की झलक देखने को मिली। परेड में आधुनिक सैन्य उपकरणों के साथ पारंपरिक वाद्ययंत्रों और नृत्यों ने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को भी प्रदर्शित किया।
इस वर्ष का गणतंत्र दिवस समारोह सिर्फ सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता, एकता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी बना।