ओडिशा और बंगाल का विभाजन चाहता है झामुमो! स्वायत्तशासी परिषद के लिए जल्द शुरू होगा आंदोलन

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झारखंड मुक्ति मोर्चा पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ जिलों को जोड़कर स्वायत्तशासी परिषद की मांग कर रहा है. झामुमो जल्द ही इसके लिए आंदोलन शुरु करने की तैयारी में है.

झामुमो पश्चिम बंगाल के 04 और ओडिशा के 03 आदिवासी बहुल जिलों को भी मिलाकर एक स्वायत्तशासी परिषद बनाने के लिए संघर्ष और आंदोलन शुरू करने के मूड में है. इसके लिए पार्टी ने खाका तैयार कर लिया है. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के आदिवासी बहुल जिलों की अलग पहचान और आदिवासी अस्मिता के नाम पर यह आंदोलन झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू करेगा. इसकी पूरी रणनीति और प्रस्ताव को आने वाले दिनों में पार्टी के महाधिवेशन में पारित कराने की भी योजना हैप.

बंगाल और ओडिशा के इन जिलों की अलग पहचान चाहता है झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और सोरेन परिवार के बेहद करीबी नेताओं में से एक सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि अभी भी पड़ोसी राज्यों के आदिवासी बहुल जिलों में जनजातीय समुदाय की स्थिति नहीं सुधरी है. वह शोषण और अत्याचार झेल रहे हैं. ऐसे में उनकी अस्मिता और पहचान की लड़ाई झामुमो पहले भी लड़ता रहा है और अब ‘ऑटोनॉमस कॉउंसिल’ बनाने के लिए संघर्ष तेज करेगा.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि पश्चिम बंगाल के झारग्राम, पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया ये चार आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर एक स्वायत्तशासी परिषद बनाने की मांग को झारखंड मुक्ति मोर्चा एक आंदोलन के रूप में शुरू करने जा रहा है. इसी तरह ओडिशा के तीन जिले क्योंझर, म्यूरभंज और सुंदरगढ़ इन तीन जिलों को मिलाकर एक स्वायत्तशासी परिषद बनाने के लिए संघर्ष शुरू करेगा.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव का कहना है कि पश्चिम बंगाल और ओडिशा के इन सात जिलों में रहने वाले आदिवासियों की रहन-सहन, बात व्यवहार और संस्कृति झारखंड के आदिवासियों की तरह ही है. उन इलाकों के जनजातीय समुदाय आज भी शोषण और जुर्म के शिकार होते रहते हैं. उनके हितों और अधिकार की रक्षा के लिए अलग स्वायत्तशासी परिषद बहुत जरूरी है..