बदलते मौसम के साथ सर्दी-खांसी और सांस की समस्या होना सामान्य है, पर अगर ये परेशानी लंबे समय तक बनी रहे तो फिर अलर्ट हो जाने की जरूरत है। देशभर में हर साल निमोनिया के कारण सबसे ज्यादा मौत होती है। रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के हेड डॉ. प्रदीप भट्टाचार्य ने उक्त जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि प्रति 10 हजार में 110 के करीब लोग निमोनिया से पीड़ित होते हैं। इनमें करीब 40% यानी करीब 44 लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। 10% यानी करीब 11 लोगों को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है। इनमें से 5 लोगों की मौत निमोनिया के कारण हो जाती है।
डॉ. प्रदीप से पूछने पर कि क्या कोविड के बाद निमोनिया के मामले तेजी से बढ़े हैं? उन्होंने बताया कि निमोनिया पहले भी थी, लेकिन इसे नजरअंदाज किया जाता था। जांच में भी उतनी एडवांसमेंट नहीं थी। कोविड के बाद जब लंग्स की समस्या ज्यादा बढ़ी है। अब हर वैसी बीमारी जिसके साथ मरीज को सांस की दिक्कत हो या ज्यादा ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़े, एचआरसीटी कराई जाती है।
रिम्स के रिकॉर्ड के अनुसार, इस साल जनवरी से अबतक करीब 6300 निमोनिया के मरीज अस्पताल में भर्ती हुए। अधिकांश रोगियों का इलाज मेडिसिन विभाग में किया गया। गंभीर मरीजों का इलाज आईसीयू और सुपरस्पेशियलिटी आईसीयू में किया गया। 800 से ज्यादा मरीज सीसीएम विभाग के आईसीयू में रहे, इनमें 359 मरीजों की मौत हो गई।