झारखंड विधानसभा चुनाव में मतदान का दिन जैसे जैसे नज़दीक आ रहा है, वैसे वैसे राजनीतिक बयानबाज़ी घमासान रूप ले रही है. इस बहस में समान नागरिक संहिता का मुद्दा भी गरमा रहा है.
राज्य चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हमारी सरकार झारखंड में ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) लागू करेगी, लेकिन आदिवासियों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा.”
उनकी इस टिप्पणी के जवाब में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “झारखंड में सिर्फ़ छोटा नागपुर काश्तकारी (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम ही चलेंगे, न कोई यूसीसी चलेगा न एनआरसी.”
इसको लेकर राज्य में दो तरह की चर्चा शुरू हो गई है, एक तो क्या बीजेपी राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए यूसीसी के मुद्दे को हवा दे रही है, और अगर ऐसा है तो इसके दायरे में आदिवासियों को क्यों बाहर रखा जा रहा है. ज़ाहिर है कि इन सबको चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.