भारत के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान को ब्रिक्स की सदस्यता नहीं मिल सकी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘हां’ के बावजूद पाकिस्तान को लेकर अपना रूख साफ कर दिया. हाल ये हो गया कि पाकिस्तान को ‘नए पार्टनर’ देशों की सूची में भी जगह नहीं मिली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वह पार्टनर देशों की सूची में शामिल सभी देशों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सर्वसम्मति जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी फैसला तभी बेहतर होता है, जब संस्थापक देशों के बीच एक राय कायम हो.
अपनी बातों को दृढ़ता से रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और आतंकियों को पनाह देने वाली ताकतों के लिए दोहरे मानदंड की कोई जगह नहीं हो सकती है. पीएम मोदी के इस स्पष्ट रूख से यह साफ हो गया था कि चीन और रूस के बैकअप के बावजूद पाकिस्तान को सदस्यता नहीं मिल सकती है.
पाकिस्तानियों को लग रहा था कि चीन उसकी मदद करेगा और उसे ब्रिक्स की सदस्यता मिल जाएगी. उनके नेताओं ने पिछले कई महीनों से इसके लिए लॉबी भी की थी. पिछले साल जब चीन में शिखर सम्मेलन हुआ था, तब भी पाकिस्तान ने एक बयान जारी कर कहा था कि ब्रिक्स के एक सदस्य देश ने उनके आवेदन पर पानी फेर दिया. जाहिर है, पाकिस्तान ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह सबको पता है कि उसका इशारा भारत की ओर था.
इस बार पाकिस्तान की उम्मीदें उस वक्त बढ़ गई थीं, जब इसी साल रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक पाकिस्तान के दौरे पर थे. ओवरचुक ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया था कि वह ब्रिक्स की सदस्यता दिलाने को लेकर प्रयास करेंगे. उस वक्त मीडिया में ये खबरें आईं थी कि भारत-अमेरिका की बढ़ती नजदीकी का जवाब पाकिस्तान को सदस्यता दिलाकर दी जा सकती है. लेकिन पीएम मोदी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.